बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन
प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भय को परिभाषित कीजिए। भय को प्रेरित करने वाले कारकों तथा इसके नियंत्रण के उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
भय
(Fear)
चारों तरफ धुआं ही धुआं, गोंलियों की आवाजें, बमों के फटने का शोर, भयानक, चीत्कार साथियों के चीथड़े होते खून से लथपथ शरीर, शत्रु द्वारा पकड़े जाने पर मारे जाने की हर पल आंशका, अनिश्चित परिस्थितियाँ, शत्रु की निर्दयता के किस्से तथा स्वयं के पास गोला-बारूद व संसाधनों के अभाव के कारण, हर पल मृत्यु की आंशका आदि के समय सैनिकों में भय का संचार करते हैं। एडविन जी० बोरिंग के अनुसार - "भय एक अप्रीतिकार संवेग हैं।
संवेग व्यक्ति को हिला देता है और भय के कारण का निवारण हो जाने पर हृदय जोर-जोर धड़कता रहता है। भय के कारण व्यक्ति का मानसिक संतुलन खो जाता है। वस्तुतः भय के कारण मनुष्य के अन्दर अचानक उत्तेजना फैल जाती है और सारा स्त्रायुंतत्र उद्वेलित हो उठता है। भये की अवस्था में सैनिक की लड़ने की इच्छा समाप्त हो जाती है लेकिन गर्वित भावना उसे लड़ने के लिए प्रेरित करती है जिसके कारण उसमें हताशा की स्थिति पैदा हो जाती है। नार्मन कोपलैंड के अनुसार भय का सवेंग अनिष्ट की उपस्थिति के कारण होता है।
मैकडुगल का मानना है कि " पलायन मानव की एक मूल प्रवृत्ति है जिसका आबद्ध संवेग हैं- भय। अर्थात् भय की अवस्था में इसके प्रतिक्रिया स्वरूप व्यक्ति या तो पलायन का प्रयास करता है या स्वयं को छिपाने का। इस प्रकार इन परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि भय एक जन्मजात क्रिया है।
भय को प्रेरित करने वाले कारक
(Causes to Inspired Fear)
निम्नलिखित कुछ प्रमुख कारक भय को प्रेरित करते हैं-
(1) अनिश्चितता युद्ध के समय हमेशा यह अनिश्चितता रहती है कि पता नहीं हम विजयी होंगे या नहीं पता नहीं कब शत्रु का आक्रमण हो जाये, कब हमें गोली या बम लग जायें, कब मृत्यु हो जायें, कब शत्रु द्वारा पकड़ लिया जाये आदि बातों से सैनिकों में अनिश्चितता बनी रहती है यही अनिश्चितता भय का प्रमुख कारक हैं।
(2) अकुशल नेतृत्व युद्ध में विजय के लिए आवश्यक अन्य सभी तत्वों के रहते हुए भी यदि नेतृत्व अकुशल एवं अनुभव विहीन हो, तो भी सेना विपरीत परिस्थिति में फँस सकती है तथा उसके सैनिक भय का शिकार हो सकते हैं।
(3) अस्पष्ट लक्ष्य अस्पष्ट लक्ष्य विभ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है और जब लक्ष्य स्पष्ट नहीं रहता है तो सैनिकों के मन में अनेक आशंकाए उत्पन्न हो जाती है। जिनके कारण भय उत्पन्न हो सकता है।
(4) प्रशिक्षण की कमी अच्छे से अच्छे हथियारों के होते हुए भी कभी-कभी प्रशिक्षण की कमी के कारण उन हथियारों का उपयोग नहीं हो पाता है जिसके कारण सैनिकों में हताश की भावना उत्पन्न हो जाती है और उनमें भय उत्पन्न हो जाता है।
(5) अच्छे हथियारों का अभाव- शत्रु की अपेक्षा स्वयं के पास अच्छे हथियारों की कमी भी भय का कारण बन सकती है क्योंकि सैनिकों में यह भावना पैदा हो जाती है कि शत्रु के पास अच्छे हथियार है, इसलिए अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली है और वह अवश्य विजयी होगा। इसलिए अच्छे हथियारों का अभाव भी भय का एक कारण है।
(6) सैनिकों की व्यक्तिगत कमजोरियाँ प्रत्येक सैनिक में कुछ न कुछ व्यक्तिगत कमजोरियाँ अवश्य होती है जोकि भय उत्पन्न करने में सहायक सिद्ध होती है अतः प्रशिक्षण के दौरान ही इन कमजोरियों को ढूंढ कर दूर कर देना चाहिए ताकि सैनिकों पर भय हावी न हो सके।
(7) अनुशासन की कमी सेना में अनुशासन का विशेष महत्व होता है और अनुशासनविहीन सेना एक भीड़ के समान होती है जहाँ भय व आंतक आसानी से उत्पन्न हो सकता है। इसलिए अनुशासन की कमी भी भय को प्रेरित करने वाले कारकों में से एक प्रमुख कारक है।
भय को नियंत्रित करने के तरीके
(Methods of control fear) :
सैनिकों को युद्ध के दौरान भय से बचाने के कुछ उपाय किये जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं-
(1) परिस्थितियों का ज्ञान कराना युद्ध की परिस्थितियों की पूर्ण जानकारी का अभाव भी लोगों के मन में भय व विभ्रम की स्थिति पैदा कर देता है। जानकारी के अभाव में योजना निर्धारण में भी कठिनाई उत्पन्न हो जाती है। अतः युद्ध में जाने वाले सैनिकों के शत्रु के बारे में जानकारी प्रदान करना तथा सेना में आयी विभिन्न परिस्थितियों का ज्ञान कराने से भय कम हो जाता हैं।
(2) अभ्यास अभ्यास भय को सीमित करने में सहायक होता है। भयावस्था लोगों को असवाधानी की स्थिति में ढकेलती है। जबकि अनुशासनावस्था उनको उचित कार्य की ओर प्रेरित करती है। कार्यावस्था की स्थिति भयावस्था को सीमित करने में सहायक होती है। कार्यरत व्यक्ति को भय नहीं लगता है। इसलिए युद्ध के समय भी अभ्यास करते रहना चाहिए।
(3) अच्छी शारीरिक स्थिति शारीरिक रूप से कमजोर यानी थका हुआ, भूखा तथा नींद से बोझल व्यक्ति एक स्वस्थ्य व्यक्ति की अपेक्षा भयग्रस्त होता है। इसलिए युद्धकाल में भी सैनिकों को कुछ आराम का अवसर देना चाहिए ताकि उनकी शारीरिक क्षमता सुदृढ़ हो सके।
(4) शान्तिपूर्ण व्यवहार भय के समय भी शान्तिपूर्ण व्यवहार रखने से भय कम हो सकता है। भय के अवसर पर सैनिक व कमाण्डर दोनों को ही शान्तिपूर्ण होकर विचार करना चाहिए तथा अधिक भयभीत सैनिकों को अन्य सैनिकों के बीच से हटा देना चाहिए। इससे भय को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
(5) कर्त्तव्यनिष्ठा - कर्त्तव्यनिष्ठा की भावना व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अविचल भाव से कर्तव्य पालन हेतु निरन्तर प्रेरित करता रहता है। यह मानसिकता इतनी दृढ़ होती है कि इससे व्यक्ति आसानी से भयावस्था को पार कर जाता है।
(6) उचित स्थिति का ज्ञान युद्ध के दौरान समय-समय पर सैनिकों को उचित जानकारी व स्थिति का ज्ञान कराते रहना चाहिए। उचित जानकारी न मिल पाने के कारण अफवाह फैल जाती है जिससे भय उत्पन्न हो जाता है किन्तु जब सैनिकों को उचित स्थिति का ज्ञान करा दिया जाता है तो भय कम हो जाता है।
(7) विनोदप्रियता तनाव व भय की स्थिति में हँसी की फुहार जीवनदायी सिद्ध हो सकती है। मनोविनोद का अवसर मिलने से भय की चिन्ता तो समाप्त हो जाती है तथा साथ ही भय की आगामी आंशका का निवारण भी हो जाता है। अतः भयावस्था को विनोद के माध्यम से सीमित करने का प्रयास करना चाहिए।
(8) सहयोगियों से संपर्क भय की स्थिति अधिकतर अकेलेपन में उत्पन्न होती है, किन्तु जब दूसरे सहयोगियों से संपर्क हो जाता है तो भय बहुत हद तक दूर हो जाता है। अतः ऐसे समय में एक-दूसरे के सहयोग का विश्वास भय को सीमित करने में सहायक होता है।
(9) धार्मिक विश्वास ईश्वर की सत्ता तथा आत्मा की अमरता में विश्वास करने वाले सैनिकों को अक्सर मृत्यु का भय नहीं होता है। धार्मिक व्यक्ति ईश्वर द्वारा अपने को सुरक्षित समझता है और वह भी जानता है कि जो होना है वह होगा इसलिए बेकार में डरने से कोई लाभ नहीं। प्रार्थना और आराध्य पर दृढ़ विश्वास मन में शक्ति का संचार करता है, जिससे भय की स्थिति से निकलने में सहायता मिलती है।
(10) भय की जानकारी अनुभवहीन सैनिक युद्ध के भय से ही भयभीत रहता है। इसका मुख्य कारण वस्तुस्थिति की जानकारी का अभाव होता है। यदि उसे वस्तुस्थिति से पूर्णत: अवगत करा दिया जाये तो उनके भीतर के भय को आसानी से दूर किया जा सकता है। भय का ज्ञान भय को समाप्त करने में सहायक होता है।
(11) कुशल नेतृत्व - युद्ध के दौरान सैनिकों का भय कम करने में कुशल नेतृत्व की अहम भूमिका होती है। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति व आत्म नियंत्रण के बल पर नेता स्वंय के भय को उद्घटित किये बिना अपने साथियों के मनोबल को सुदृढ़ करके भय कम करने में सहायक हो सकता है। एक आशावादी व अपने साथियों की प्रत्येक सुविधा की चिन्ता करने वाले कमाण्डर के लिए सैनिक कोई भी बलिदान करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। भय को नियंत्रित करने के लिए कैप्टन लिडिल हार्ट ने कहा है कि " सैनिक की अपने भय पर काबू पाने के लिए अपने नेता की कुशलता में विश्वास होना चाहिए तथा उसके प्रति आत्मोत्सर्ग करने की भावना भी।"
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- प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
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- प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
- प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
- प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।